Anal Fissure - एनल फिशर, All you should know about it

एनल फिशर क्या होता है, इसका बचाव तथा उपचार

गुदा मार्ग  में कोई भी परेशानी होने पर पीड़ित रोगी चिकित्सक से बवासीर का इलाज करने का आग्रह करता है।  वास्तव में बवासीर के अतिरिक्त भी अन्य कई बीमारियां हैं जो गुदा मार्ग पर हो सकती हैं - जैसे एनल फिशर, भगंदर, वार्ट, कैंसर, खुजली, खाज, नासूर आदि

एक गुदा रोग विशेषज्ञ अथवा प्रॉक्टोलॉजिस्ट ही बीमारी को सही प्रकार से पहचान सकता है।  यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि बवासीर तथा अन्य रोगों का उपचार एवं चिकित्सा अलग-अलग है।

एनल फिशर  के रोगी को शौच जाते वक्त गुदा में दर्द का अनुभव होता है।  कुछ रोगी  तीव्र जलन की भी शिकायत करते हैं।  प्रारंभ में यह दर्द शौच जाने के समय ही होता है।  धीरे-धीरे दर्द की तीव्रता बढ़ती जाती है।  कुछ समय पश्चात उपचार न लेने पर, दर्द शौच जाने के बाद भी होने लगता है।  मरीज घंटों तक इस दर्द को महसूस करता है।  बाद में शौच जाते समय प्रारंभ हुआ दर्द दिनभर ही बना रहता है।  दर्द के कारण रोगी को चक्कर आते हैं, उसकी टांगे कांपने लगती हैं।  रोगी शौच करने जाने से भी डरने  लगता है।  शौच  में बैठते ही वह उठ  खड़ा होता है, इससे बड़ी आत में मल  एकत्रित होकर  सूखने लगता है।

कुछ रोगियों को मल के साथ तथा बाद में खून भी आता है।  यह खून प्रारंभ में मल के ऊपर एक लाइन की तरह लग कर आता है।  रोगी पूछने पर बताता भी है कि उसने मल के ऊपर रक्त  की लाइन बनी देखी है।  उपचार न लेने पर एनल फिशर का घाव गहरा होता जाता है।  इसमें से शौच के समय बहुत रक्त आता है।

कुछ फिसर के रोगियों को गुदा मार्ग पर खुजली होती है।  उन्हें जोर से  खुजाने का मन भी करता है।  कुछ रोगियों को गुदा मार्ग पर भारीपन सा लगता रहता है।

फिशर का उपचार न लेने पर किसके ऊपर बाहर की तरफ सूजन आने लगती है, जिसे हम 'सेंटिनल पाइल'  के रूप में जानते हैं।  यह वास्तव में बवासीर नहीं है, सूजन है।  रोगी इससे अनभिज्ञ इस  सूजन को बवासीर का मस्सा ही समझते हैं।  एक योग्य गुदा रोग विशेषज्ञ इसकी पहचान सही प्रकार से कर सकता है।

घाव  के कारण गुदा मार्ग तनाव में बना रहता है।  रोगी अपनी गुदा को कसकर बंद रखता है।  इसी कारण गुदा का अंदरूनी परीक्षण करना भी संभव नहीं हो पाता है।

हमारा गुदा मार दो तरह की गोल मासपेशियों से घिरा रहता है।  इसमें से अंदर वाली मांसपेशी हमेशा तनाव में रहती है तथा गुदा मार्ग को दबा कर रखती है, ताकि उसमें से वायु, पाद, मल  बाहर न निकल  सके।  

बाहरी मांसपेशी हमारे दिमाग के अनुरूप ढीली या कड़ी हो सकती है।

फिशर होने का मूल कारण

फिशर होने का मूल कारण है - कब्ज।  

मल हमारी बड़ी आंतों में पड़े पड़े सूख जाता है तथा उसका आकार बड़ा हो जाता है।  इस प्रकार के मल  को जब हमारी आंतें  जोर लगा कर बाहर निकालती हैं, उस समय गुदा मार्ग छिल जाता है या फट जाता है।  गुदा मार्ग की झिल्ली केवल छिल भी  सकती है तथा वह पूरी तरह फट भी सकती है।

अगर झिल्ली केवल ऊपर से ही छिली  होती है तो कब्ज को सही रखकर तथा अन्य दवाइयों से यह घाव भर सकता है।  अन्यथा हमको उसका ऑपरेशन ही करना पड़ता है।

घाव के कारण गुदा मार्ग  को घेरी अंदरूनी मांसपेशियां  और अधिक तनाव में आ जाती हैं।  इस कारण रक्त का प्रवाह भी इस हिस्से में कम हो जाता है।  इससे भी फिशर का घाव भरने में परेशानी होती है।  ज्यादातर यह घाव पीछे की तरफ होते हैं।  बहुत कम लोगों में यह ऊपर की तरफ होते हैं।

दवाइयों द्वारा उपचार

लगभग 80% एनल फिशर जो गहरे नहीं होते हैं दवाइयों द्वारा ठीक हो जाते हैं।  इसका उपचार कब्ज को सही करके ही संभव है।  कब्ज से फ़िशर  होता है, फिशर से और कब्ज होता है, कब्ज पुनः  फिशर के घाव को हरा कर देता है।  इस चक्र को तोड़कर तथा कब्ज का उपचार कर हम रोगी को रोग मुक्त कर सकते हैं।

भोजन

कब्ज से मुक्ति पाने के लिए हमें अधिक रेशे युक्त भोजन, फल तथा सलाद का सेवन करना चाहिए।   हम को कम से कम 3 से 4 लीटर पानी भी प्रतिदिन पीना चाहिए।  इसके बारे में भी उपरोक्त लेख में मैंने विस्तृत रूप से वर्णन किया है।

सिट्ज़ बाथ

फिशर में गुनगुने पानी से भरे टब में बैठकर सिकाई करने से भी बहुत आराम मिलता है।  सिकाई अंदरूनी मांसपेशी के तनाव को भी  कम करती है।  सिकाई करते समय हमारा गुदा मार्ग तथा कूल्हे  गुनगुने पानी में डूबे रहने चाहिए।

इंजेक्शन द्वारा उपचार

कुछ चिकित्सक बोटूलिनम टॉक्सिन के इंजेक्शन भी गुदा मार्ग  की मांसपेशियों में लगाते हैं।  लेकिन एक बार असर आने  पर, लगभग 3 महीने बाद इसका असर धीरे धीरे खत्म हो जाता है।

मलहम

कुछ मलहम भी  फिशर के लिए बाजार में उपलब्ध है।  लेकिन उनका प्रयोग चिकित्सीय सलाह के बिना कदापि भी नहीं करना चाहिए।

ऑपरेशन

लेजर द्वारा फिशर का ऑपरेशन सहजता से किया जा सकता है।  इससे दर्द भी बहुत कम होता है, शाम तक रोगी की छुट्टी भी हो जाती है।

अगर आप मुझसे कुछ पूछना चाहे तो मुझे 9837144287 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।  

मेरी ईमेल है puneet265@gmail.com

डॉ पुनीत अग्रवाल MS